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वैश्य समाज के मतदाता कृष्ण पाल गुर्जर को चुनाव के समय सिखाएंगे खिलाफ बोलने का सबक

बुवानीवाला ने की भाजपा से टिकट बदलने की मांग

स्वास्तिक न्यूज़ : अभिषेक दिवान

जींद: अग्रवाल वैश्य समाज के प्रदेश अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने फरीदाबाद से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार एवं केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के बनिया बिरादरी को लेकर दिए गए बयान पर कड़ा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि वैश्य समाज आने वाले लोकसभा चुनाव में कृष्णपाल गुर्जर के खिलाफ एकजुट होकर मतदान करेगा और उन्हें यह बताया कि बनिया केवल दुकान पर बैठकर तराजू से तोड़ने का काम नहीं करता है बल्कि वह राजनीति में भी पूरा हिसाब बराबर रखता है।

अशोक बुवानीवाला ने कहा कि कृष्ण पाल गुर्जर को यह नहीं भूलना चाहिए कि इस लोकसभा क्षेत्र में जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं करीब 2 लाख वोट वैश्य समाज के हैं और उन्हीं के वोटों के दम पर वह लोकसभा चुनाव जीते और केंद्र में मंत्री बने। उनके वायरल हुए बयान के बाद वैश्य समाज के लोगों में रोष है और वह आने वाले लोकसभा चुनाव में इस रोष का हिसाब वोट की चोट से देगा। अशोक बुवानीवाला ने कहा कि भाजपा की है मानसिकता रही है कि बनिया वोट बैंक उसका है और उसे राजनीति में ज्यादा भागीदारी नहीं भी देंगे तो चलेगा और इसी मानसिकता के चलते कृष्ण पाल गुर्जर ने यह बयान दिया है और अग्रवाल वैश्य समाज आने वाले चुनाव में कृष्ण पाल गुर्जर के खिलाफ एक व्हिप जारी कर गुर्जर द्वारा किए गए इस अपमान का बदला उनके खिलाफ वोट डालकर लेने का आह्वान करेगा।

बुवानीवाला का कहना है कि किसी राजेंद्र नामक व्यक्ति से कृष्णपाल गुर्जर की इस ऑडियो में बातचीत है। कृष्णपाल गुर्जर को कॉल करके राजेंद्र कहते हैं कि नेता जी राम-राम। गुर्जर उन्हें राम-राम का जवाब राम-राम में देते हैं। बात आगे बढ़ती है। राजेंद्र-ठीक हो नेता जी। गुर्जर-हां राजेंद्र भाई ठीक हूं। राजेंद्र-कल भाई आया था गांव में। गुर्जर-अच्छा देवेंद्र आया था। राजेंद्र-नहीं उत्कर्ष आया था। गुर्जर-अच्छा उत्कर्ष आया होगा। मैं राजस्थान था चुनाव में। राजेंद्र-वैसे सब ठीक हैं, बनियों की जैसे उड़ा रो हैं कि…। गुर्जर-तू चिंता मत करै राजेंद्र भाई। राजेंद्र-ना जी हमें तो आपका आशीर्वाद चाहिए जी। गुर्जर-एक बात बता, बनिये लोकसभा लड़ सकै हैं के। कोई गांव में घुसने देगा बनिये को। तुम दुकान पे बैठो, तराजू से तोलो। राजेंद्र-गुजरों के गांव में कैसे वोट मिल जाएंगी। गुर्जर-कहीं भी ना मिलैं।

इतनी बातें निवर्तमान केंद्रीय राज्यमंत्री और उनके एक समर्थक राजेंद्र के बीच होती हैं। कृष्णपाल गुर्जर की वैश्य समाज के प्रति ऐसी सोच दर्शाती है कि वे समाज के किस तरह से खिलाफ हैं। राजनीति में कभी कोई आता है तो कभी कोई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि एक विशेष वर्ग के प्रति किसी दूसरे वर्ग के नेता इस तरह से बात करें। यह बहुत ही व्यक्तिगत उनकी बात है। इससे समाज में कितना जहर घुलेगा, यह बताने की जरूरत नहीं है। जिस समर्थक को कृष्णपाल गुर्जर ने वैश्य समाज के बारे में इतनी कड़वी बात कही है, वह स्वयं भी कृष्णपाल गुर्जर की इस बात को समाज में प्रचारित करेगा। इस तरह से वैश्य समाज के प्रति दूसरे समाज में कितनी घृणा पैदा होगी इसका अंदाजा भी लगाया जाना चाहिए।

अशोक बुवानीवाला ने कहा कि ऐसे नेता के खिलाफ वैश्य समाज तो वोट की चोट करेगा ही, साथ में भारतीय जनता पार्टी संगठन को भी कड़ा संज्ञान लेते हुए उनकी टिकट बदल देनी चाहिए। उनकी पार्टी में और भी वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें टिकट दी जानी चाहिए।

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